धर्मपुत्र भद्रश्रवा, भद्रशवा वर्ष में स्तुति करें भगवान वासुदेव की! धर्मपुत्र भद्रश्रवा, भद्रशवा वर्ष में स्तुति करें भगवान वासुदेव की!
उस छिद्र से ब्रह्माण्ड के बाहर को निकली थी फिर जल की धारा। उस छिद्र से ब्रह्माण्ड के बाहर को निकली थी फिर जल की धारा।
शुकदेव जी कहें, हे राजन भरत जी का पुत्र सुमति था! शुकदेव जी कहें, हे राजन भरत जी का पुत्र सुमति था!
अस्तित्व का एहसास लेकिन अब करा दिया जाए। अस्तित्व का एहसास लेकिन अब करा दिया जाए।
आबो हवा अर शुद्ध पानी अब नही वो गाँव। खो गया है आज वो, अमराइयों का गाँव।। आबो हवा अर शुद्ध पानी अब नही वो गाँव। खो गया है आज वो, अमराइयों का गाँव...
आज तो पंख दे दिए जाए आज तो पंख दे दिए जाए